कर्म, भाग्य और ज्योतिष
जीवन में पुरूषार्थ और भाग्य दोनों का ही अलग-अलग महत्व है। ये ठीक है कि पुरूषार्थ की भूमिका भाग्य से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है लेकिन इससे भाग्य का महत्व किसी भी तरह से कम...
जीवन में पुरूषार्थ और भाग्य दोनों का ही अलग-अलग महत्व है। ये ठीक है कि पुरूषार्थ की भूमिका भाग्य से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है लेकिन इससे भाग्य का महत्व किसी भी तरह से कम...
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तिल और भाग्य दोनों साथ-साथ चलते हैं और ये दोनों व्यक्ति के स्वभाव, कर्म और उनके जीवन में होने वाली अच्छी और बुरी घटनाओं की ओर संकेत करते हैं। इसलिए...
धन जीवन की मौलिक आवश्यकता है। सुखमय, ऐश्वर्य संपन्न जीवन जीने के लिए धन अति आवश्यक है। आधुनिक भौतिकतावादी युग में धन की महत्ता इतनी अधिक बढ़ चुकी है कि धनाभाव में हम विलासितापूर्ण...
जन्म के पाया के बारे में जानना – पाया का विचार दो प्रकार से किया जाता है नक्षत्र से तथा चंद्रमा से ज्योतिष् शास्त्र में जन्म समयानुसार बालक का चार पायो में जन्म होता...
रवि पुष्य योग में इन कार्यों को करना माना जाता है बेहद शुभ रवि पुष्य योग समस्त शुभ और मांगलिक कार्यों के शुभारंभ के लिए उत्तम माना गया है। यदि ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल...
आज के समय मे लडका लडकी की आपसी पसदं से विवाह होना आम बात है बच्चो की खुशी के लिए माॅ बाप भी मना नही करते लेकिन हर विवाह चाहे लव हो अच्छे से...
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